rahim das biography in hindi | रहीम का जीवन परिचय pdf

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rahim das biography in hindi > दोस्तों, रहीम दास का पूरा नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना था। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे और उन्हें एक महान विद्वान, कवि और सेनापति के रूप में जाना जाता था। रहीम दास ने हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में कई महत्वपूर्ण रचनाएं की हैं। उनकी रचनाओं में गहरे जीवन के आदर्श और

नैतिक मूल्यों का प्रतिबिंब मिलता है। रहीम दास की प्रसिद्ध रचनाओं में नीति और भक्ति पर आधारित कविताएं शामिल हैं। उनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। उनके पिता का नाम वेदन खान और माता का नाम सुल्तान बेगम था, जबकि उनकी पत्नी महाबनवे बेगम थीं। रहीम दास का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, लेकिन हिंदू धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान के कारण उन्हें ‘दास’ की उपाधि प्राप्त हुई थी

Rahim Das ka janm kab hua tha

रहीम दास का जन्म 17 सितंबर 1556 को इलाहाबाद में हुआ था। उस समय लाहौर, जो अब पाकिस्तान में है, भारत का हिस्सा था, लेकिन विभाजन के बाद यह पाकिस्तान में चला गया। कुछ लोग मानते हैं कि उनका जन्म दिल्ली के मुगल साम्राज्य में हुआ था। रहीम दास की मृत्यु 1 अक्टूबर 1627 को आगरा में, जो उस समय मुगल साम्राज्य का हिस्सा था, हुई थी। उनकी समाधि दिल्ली में स्थित है, जिसे अब्दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा कहा जाता है

Rahim Das ke guru kaun the

रहीम दास के गुरु का नाम मुगल सम्राट अकबर था। रहीम ने अकबर से न केवल राजनीति और शासन की शिक्षा ली, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया। अकबर और रहीम के बीच गुरु-शिष्य का गहरा संबंध था, और रहीम ने अपने जीवनकाल में अपने गुरु का बहुत सम्मान किया

Rahim das ke pita ka naam

रहीम खान के पिता का नाम बैरम खान था, जो मुगल सम्राट अकबर के प्रमुख संरक्षक और शिक्षक थे। बैरम खान को अकबर ने “खान-ए-खाना” की उपाधि से सम्मानित किया था। बैरम खान सम्राट हुमायूं के समय एक महत्वपूर्ण सेनापति थे और उन्होंने मुगल साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रहीम की माता सुल्ताना बेगम थीं, जो वर्तमान हरियाणा प्रांत के मेवाती राजपूत जमाल खान की बेटी थीं

रहीम दास का जीवन परिचय (Biography of Rahim Das in Hindi)

पूरा नाम: अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना
जन्म: 17 दिसम्बर 1556
जन्म स्थान: लाहौर, पाकिस्तान
मृत्यु: 1627
पिता: बैरम ख़ान
माता: सुल्ताना बेगम
पत्नी: महबानो बेगम

रहीम की काव्य शैली

रहीम दास के दोहे और कविताएं आज भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। उनकी काव्य शैली सरल, सहज और सजीव है, जो आम जनमानस को आसानी से समझ में आती है। रहीम के दोहों में नीति, प्रेम, भक्ति, दान और जीवन के गहरे सत्य का

अद्भुत वर्णन मिलता है। उनके दोहों में जीवन की सच्चाई और मानव व्यवहार की गहरी समझ झलकती है। रहीम दास के दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे, और इन्हें स्कूलों में पढ़ाया जाता है। उनके दोहे जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को सरल शब्दों में प्रस्तुत करते हैं, जिससे वे पाठकों के मन में गहरा प्रभाव छोड़ते हैं

रहीम दास की प्रमुख रचनाएँ

रहीम दास की प्रमुख रचनाओं में उनके दोहे शामिल हैं, जो अत्यधिक लोकप्रिय हैं। उनके दोहे नीति, व्यवहार और दान के महत्व को गहराई से समझाते हैं। इसके अलावा, उनकी संस्कृत में लिखी गई रचना “मदनाष्टक” भी काफी प्रसिद्ध है,

जो रहीम की विद्वता और उनके गहन ज्ञान को दर्शाती है। रहीम ने “नायिका भेद” नामक एक और महत्वपूर्ण रचना की, जिसमें उन्होंने नायिकाओं के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया है। रहीम दास ने कई अन्य रचनाएं भी की हैं, लेकिन उनके दोहे और “मदनाष्टक” जैसी रचनाएं आज भी बहुत प्रसिद्ध हैं और पाठकों द्वारा सराही जाती हैं

रहीम और अकबर

रहीम दास का अकबर के दरबार में एक महत्वपूर्ण स्थान था। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे और उन्हें “खान-ए-खाना” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। रहीम ने अकबर के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण और नेतृत्वकारी भूमिकाएं

निभाई थीं। अकबर के दिल में रहीम के लिए खास स्थान था, और कई अवसरों पर उन्होंने रहीम को सम्मानित किया। रहीम न केवल विद्वान और कवि थे, बल्कि एक कुशल सेनापति और बुद्धिमान व्यक्ति भी थे। वे अकबर के दरबार के प्रमुख सेवक के रूप में भी कार्य कर चुके थे और उनकी सलाह को हमेशा महत्व दिया जाता था

रहीम दास की मृत्यु

रहीम दास का निधन 1627 में हुआ था। उनके जीवन की आधी सदी की काव्य रचनाएं आज भी लोगों के दिलों में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। रहीम की मृत्यु आगरा में हुई थी, लेकिन उनका मकबरा दिल्ली में स्थित है। रहीम की मृत्यु लगभग 70 वर्ष की उम्र में हुई थी। उनके द्वारा लिखी गई कविताएं और दोहे आज भी अपने गहरे संदेश और सरल भाषा के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।

Krishna Bhakti and Secularism

रहीम दास को कृष्ण भक्ति में गहरी रुचि थी। अकबर की धर्मनिरपेक्ष नीति के कारण उनकी कृष्ण भक्ति को कभी भी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। रहीम की भक्ति और हिंदू धर्म के प्रति सम्मान के कारण उन्हें “रहीम दास” के नाम से
जाना गया। उनके दोहे और कविताएं समाज में नीति, प्रेम, भक्ति और व्यवहार के आदर्श सिखाती हैं। रहीम दास ने भक्ति के ऊपर कई रचनाएं की हैं और उनका हिंदू धर्म के प्रति समर्थन स्पष्ट है। “दास” शब्द का उपयोग हिंदू धर्म के संदर्भ में सम्मानपूर्वक किया गया है, और यही कारण है कि उन्हें यह उपाधि दी गई

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shital yadav
Shital Yadav pack2go.in के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। वे एक उत्साही ब्लॉगर हैं, जो भारतीय जीवनशैली, सरकारी योजनाओं, मोबाइल रिव्यू, और अन्य उपयोगी विषयों पर जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। उनका उद्देश्य पाठकों को सरल और सटीक जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे अपने जीवन में बेहतर निर्णय ले सकें।

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